उत्तराखंड : पुराना है हरक सिंह रावत का रुठने-मनाने का खेल, इस्तीफे की धमकी से हिला हाईकमान

देहरादून : कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत के दिल और दिमाग की बात कोई नहीं जान सकता। कभी वो इतने इमोशनल हो जाते हैं कि रो पड़ते हैं तो कभी इतना गुस्सा की इस्तीफे तक की धमकी देकर कैबिनेट से उठकर चले जाते हैं। जी हां शुक्रवार बीती देर शाम कैभी ऐसा ही हुआ। अपनी एक मांग को लेकर वो कैबिनेट छोड़कर चले गए। उनको रात भर मनाने की कोशिश की गई औऱ आखिरकार सुबह भाजपा वालों ने राहत की सांस ली। उमेश काऊ ने बताया कि उन्हें मना लिया गया है। सीएम से फोन पर बात हुई है। लेकिन बता दें कि हरक सिंह रावत का रूठने-मनाने का खेल काफी पुराना है। इससे पहले वो सीएम बदलने के दौरान भी नाराज हो गए थे। वहीं अब कोटद्वार मेडिकल कालेज के बहाने इस्तीफे की धमकी देकर हरक ने सियासी भूचाल ला दिया जिससे हाईकमान तक हिल गया। लेकिन इस बार हरक ने विधानसभा चुनाव से पहले एक तीर से दो निशाने साधे हैं।

आपको बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब हरक सिंह रावत नाराज हुए हैं। इसी साल जुलाई में सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के समय वह रुठ गए थे। तब उनकी दबाव की रणनीति काम कर गई और उन्हें ऊर्जा जैसा अतिरिक्त मंत्रालय भी दिया गया। अब जबकि विधानसभा चुनाव सिर पर हैं तो हरक फिर से नाराज हुए हैं और इसकी वजह बताई जा रही है कोटद्वार में मेडिकल कालेज। लेकिन उन्होंने चुनाव से पहले एक तीर से कई निशाने साधे। कोटद्वार की जनता के मन में वो घर कर गए कि मंत्री जी ने मेडिकल कॉलेज के लिए इस्तीफा देने तक का फैसला लिया यानी की वो जनता के हितैशी हैं.

बता दें कि हरक सिंह ने पिछले चुनाव में अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में इसका वायदा किया था। उन्होंने दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से भी इस संबंध में अनुरोध किया था। इस पर उन्हें आश्वासन भी मिले, लेकिन एक ही जिले में दो मेडिकल कालेज का मानक भी आड़े आ रहा है। ऐसे में क्षेत्रीय जनता उनसे सवाल कर रही है। चुनाव में वो जीतना चाहते हैं तो जनता को भी संतुष्ट करना है। ऐसे में बीती रात हुई कैबिनेट में उन्होंने मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव रखा लेकिन नाराज होकर बाहर आ गए. कैबिनेट की बैठक में इस्तीफे की धमकी देकर बैठक छोड़कर चले जाने का दांव उन्होंने चला है। देखना होगा कि उनका यह दबाव क्या रंग लाता है। वे फिर से मना लिए जाएंगे अथवा वह अन्य कोई कदम उठाएंगे। इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।

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