उत्तराखंड में 1 अधिकारी के पास 5 विभाग तो मिली 5 कारें, कुत्तों की मौज, कर्ज तले दबते जा रहा राज्य

प्रदेश की अर्थव्यवस्था कर्ज के मर्ज में धंसती जा रही है। उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार कर्ज का आंकड़ा हजार करोड़ रुपए की सीमारेखा को लांघकर एक लाख करोड़ पार करता दिख रहा है। प्रदेश की वित्तीय समीक्षा की रिपोर्ट इसी तरह के आंकड़े पेश करती दिख रही है।बीते वित्तीय वर्ष 2021-22 में उत्तराखंड पर 85486 करोड़ रुपये कस कर्ज था। इससे पहले भी कर्ज का आंकड़ा हजार करोड़ रुपए के फेर में नजर आता रहा है।हालांकि, कोरोना संक्रमण में मिली गहरी आर्थिक चोट और उससे उबरने की जिद्दोजहद में कर्ज पर कर्ज लेना सरकार की मजबूरी बन गया। अब स्थिति यह है कि इस वित्तीय वर्ष 2022-23 की समाप्ति तक यह आंकड़ा 1.075 लाख करोड़ रुपए पार होता दिख रहा है।

एक ओर उत्तराखंड कर्ज तले दब रहा है तो दूसरी ओरअफसरों की मौज।सिर्फ अफसर ही ही नहीं उनके कुत्तों की भी मौज है। जी हां हम ये इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हो ही कुछ ऐसा रहा है,. ये आरोप लगाया है सरकारी वाहनों को चलाने के लिए संविदा पर लगे ड्राइवर की। एक अफसर के पास पांच चार्ज हैं तो उनको पांच ही सरकारी गाड़ी दी गई है। कोई कुत्ता घुमा रही है तो तो कोई सरकारी वाहन में सब्जी लेने जा रहे हैं. वहीं इसकी शिकायत सीएम धामी से की गई है और उनको शिकायती पत्र भेजकर कार्रवाई करने की मांग की गई है।

एक सरकारी अधिकारी के पास पांच-पांच और पांच वाहन

उत्तराखंड में एक सरकारी अधिकारी के पास पांच-पांच विभागों की जिम्मेदारी होने के चलते उन्हें 5-5 वाहन आवंटित हैं. एक वाहन साहब को दफ्तर और घर छोड़ने जाता है. दूसरा साहब के बच्चों को स्कूल, तीसरा साहब के घर के लिए सब्जी और इतना ही नहीं साहब के पालतू कुत्ते को घुमाने के लिए भी इन सरकारी वाहन का उपयोग होता है. ऐसा हम नहीं, बल्कि सरकारी विभागों में लगे संविदा आउटसोर्स वाहन चालक संघ के ड्राइवर कह रहे हैं। जिन्होंने अब अपने अधिकार के प्रयोग के हनन में सीधा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखा है. वाहन चालकों ने मांग कि है कि इस तरह के लोगों पर कार्रवाई हो. क्योंकि पहले ही वर्षों से विभागों में आउटसोर्स के तहत कार्य कर रहे चालकों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है।

संविदा आउटसोर्स वाहन चालक संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की है. चालकों का कहना है कि प्रदेश में कुशासन पर अंकुश लगाने की बात तो हो रही है, लेकिन इसकी तस्दीक तो खुद वाहन चालक कर रहे हैं कि राज्य के अधीन विभागों में सरकारी वाहनों का दुरुपयोग हो रहा है. शासन से लेकर सरकार तक एक अधिकारी के पास जितने विभागों की जिम्मेदारी है, उन्हें साथ में उतने ही वाहन दिए गए हैं। इस वाहनों का प्रयोग अधिकारी अपने निजी सचिव को घर छोड़ने, बच्चों को स्कूल ले जाने और लाने, घर की सब्जी लाने के साथ-साथ पालतू कुत्ते को घुमाने के लिए भी कर रहे हैं. इनदिनों एक अधिकारी की गाड़ी में पालतू कुत्ते को घुमाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. संघ के लोगों का कहना हैं कि चालकों के अधिकारों का हनन और उन्हें प्रताड़ित न किया जाए। संविदा आउटसोर्स वाहन चालक संघ के प्रदेश अध्यक्ष हरीश कोठारी का कहना है कि इस माह सरकारी विभागों में वाहन चालकों के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था. जिसमें वेबसाइट पर 25 अंकों का प्रश्न पत्र था, लेकिन जब युवा परीक्षा देने पहुंचे, तो उन्हें 50 अंक का प्रश्न पत्र थमा दिया गया. इसके साथ ही सरकारी विभागों में चालकों के लिए व्यवसायिक लाइसेंस की वैधता समाप्त कर दी गई है, जो न्याय संगत नहीं है। इसके अलावा कई विभागों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी वाहन चालकों के रूप में कार्य कर रहे हैं, जो कि नियम के विरुद्ध है. वाहन चालकों ने कहा कि अगर उनकी मांगों पर अमल नहीं होता है, तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *