भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र वाणी है श्रीमद् भागवत कथा- आचार्य नर्मदा शंकरपुरी
भूपतवाला स्थित महाराजा अग्रसेन सेवा सदन ट्रस्ट अग्रवाल भवन में श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। कथा से पूर्व महिला श्रद्धालु एवं भक्तों द्वारा सर्वानंद घाट से अग्रवाल भवन तक भव्य कलश शोभायात्रा धूमधाम से निकाली गई। कथा के पहले दिन श्रद्धालु भक्तों को श्रीमद् भागवत का महत्व बताते हुए कथा व्यास महामंडलेश्वर आचार्य नर्मदा शंकर पुरी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की पवित्र वाणी ही श्रीमद् भागवत है। भक्त और भगवान की यह कथा व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से साक्षात्कार करवाती है। जिससे उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। कलयुग में श्रीमद् भागवत कथा मोक्षदायिनी है जिसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के जन्म- जन्मांतर के पापों का शमन होता है। श्रोताओं का जीवन अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान होता है। हम सभी को अपने परिवार के कल्याण एवं बच्चों को संस्कारवान बनाने हेतु कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा व्यक्ति में उत्तम चरित्र का निर्माण कर उसके जीवन को सफल बनाती है। आचार्य नर्मदा शंकरपुरी महाराज ने कहा कि पितृ पक्ष में जो श्रद्धालु भक्त हरिद्वार की पावन भूमि पर अपने पितरों के निमित्त श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कराता है उसे सौ अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। कथा के यजमान पवन गर्ग एवं राजेंद्र गर्ग ने कहा कि वह अत्यंत सौभाग्यशाली है। देवभूमि की पावन धरती पर गंगा के सानिध्य में उन्हें श्रीमद् भागवत कथा श्रवण का अवसर प्राप्त हुआ है। रमेश मित्तल, राहुल गुप्ता एवं सोनी गोयल ने कहा कि जन्म-जन्मो के पुण्य उदय होने पर सौभाग्यशाली व्यक्ति को कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से राजा परीक्षित को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। आज भी कलयुग में इसके साक्षात प्रमाण देखने को मिलते हैं वास्तव में सभी ग्रंथो का सार श्रीमद् भागवत कथा मोक्ष प्रदाता है।