उत्तराखंड में मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ राज्यपालों के कार्यकाल में भी लगा ‘ग्रहण’, कोई पूरा नहीं कर पाया

उत्तराखंड : इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य कहें या परंपरा लेकिन राज्य के गठन से लेकर अब तक एक सीएम के अलावा कोई सीएम अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। और तो और राज्यपालों के कार्यकाल में भी उत्तराखंड में ग्रहण लगा है। उत्तराखंड में अब तक कोई राज्यपाल अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। बीते दिनों ही राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने इस्तीफा दिया औऱ राज्य को रि. लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह राज्यपाल के रुप में मिले। लेकिन इससे एक बार फिर से सवाल खड़े होने लगे हैं कि आखिर उत्तराखंड में ऐसा ग्रहण क्यों लगा है कि सीएम हों या राज्यपाल पांच साल पहले की कुर्सी छोड़ने को मजबूर हो जाते है। एक साल में त्रिवेंद्र रावत फिर तीरथ रावत और अब नए सीएम पुष्कर धामी उत्तराखंड की कमान संभाले हैं। एक साल मेें तीन सीेएम..इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य ही कहेंगे या परंपरा। लोगों को जब विकास चाहिए होता है तब उनको नया सीेएम मिल जाता है। जब तक कोई कुछ समझ पाता है तब तक राज्य में चेहरा बदल दिया जाता है जिससे जनता भी कन्फ्यूज हो गई है। मुख्यमंत्रियों के साथ साथ राज्यपालों की भी उत्तराखंड प्रयोगशाला बन गया है।

अब तक इतने राज्यपाल रहे

राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में कोई भी राज्यपाल नही कर पाया अपना कार्यकाल पूरा

सुरजीत सिंह बरनाला 9 नवंबर 2000 से 7 जनवरी 2003 तक रहें राज्यपाल

सुदर्शन अग्रवाल 8 जनवरी 2003 से 28 अक्टूबर 2007 तक रहें राज्यपाल

बनवारी लाल जोशी 29 अक्टूबर 2007 से 5 अगस्त 2009 तक रहें राज्यपाल

मार्गरेट अल्वा 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक रही गर्वनर

अजीज कुरैशी 15 मई से 2012 से 8 जनवरी 2015 रहें राज्यपाल

के के पॉल 8 जनवरी 2015 से 25 अगस्त 2018 तक रहें राज्यपाल

बेबी रानी मौर्य 26 अगस्त 2018 से
8 सितंबर 2022 तक रही राज्यपाल

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