भोले बाबा के भक्तों को मायूस करने वाली खबर, उत्तराखण्ड से इस बार कैलाश मानसरोवर यात्रा नहीं

उत्तराखण्ड में लंबे समय से शिवधाम जाने की तैयारी कर रहे शिव भक्तों के लिए मायूस कर देने वाली खबर है। बता दें कि शिव भक्तों को लगातार तीसरे साल यात्रा नहीं होने से झटका लगा है। पिथौरागढ़ जिले में चीन सीमा से सटे लिपूलेख दर्रे को पार कर हर साल जून से मानसरोवर यात्रा होती रही है।

साल 2020 और 2021 में कोरोना के कारण यात्रा स्थगित की गई थी। लगातार दो साल यात्रा का संचालन नहीं हो सका। इस बार भारत में कोरोना का कहर कम हो गया है और इसलिए यात्रियों को उम्मीद थी कि उन्हें पवित्र शिवधाम जाने का अवसर मिलेगा। यात्रा को लेकर हर साल जनवरी में तैयारी शुरू हो जाती थी। इस बार अप्रैल आने के बाद यात्रा के आयोजन को लेकर कहीं कोई दिशा निर्देश विदेश मंत्रालय से केएमवीएन को नहीं मिले थे। इसके बावजूद यात्रा से जुड़े कारोबारियों को उम्मीद थी कि जल्द आदेश होंगे। लेकिन अब केएमवीएन के अफसरों का कहना है कि इस बार भी यात्रा नहीं होगी।

पर्यटन विकास अधिकारी लता बिष्ट ने बताया कि मानसरोवर यात्रा उच्च हिमालयी क्षेत्र में पूरी की जाती है। इसलिए यात्रियों को वहां जाने के लिए स्वास्थ्य परीक्षण के साथ ही अन्य औपचारिकताएं भी पूरी करनी होती हैं। यात्रा अवधि से 6 महीने पहले ही हर साल केएमवीएन विज्ञप्ति जारी कर यात्रियों से आवेदन आंमत्रित करता था। जिसके बाद यात्रियों का चयन किया जाता था। यह यात्रा नहीं होने से केएमवीएन को नुकसान हो रहा है। होम स्टे एसोसिएशन अध्यक्ष मदन नबियाल ने बताया कि लगातार मानसरोवर यात्रा के ठप रहने से सीमांत के लोग परेशान हैं। यहां 500 से अधिक लोगों की आजीविका मानसरोवर यात्रियों पर निर्भर है। यात्रा अवधि में काम कर घर चलाने वाले लोग यात्रा रद्द होने से निराश हैं। 

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