हरिद्वारा : खाकी ने निभाया बेटे का फर्ज, हरकी पैड़ी पर थैले बेचने वाली अम्मा का किया अंतिम संस्कार
हरिद्वार : उत्तराखंड पुलिस सेवा मित्रता के लिए जानी जाती है। जिसका जीता जागता उदाहरण हरिद्वार के हर की पैड़़ी में देखने को मिली।खाकी ने एक बार फिर साबित किया है कि इंसानियत का रिश्ता सभी रिश्तों से बड़ा होता है। आपको बता दें कि सोमवार शाम हरकी पैड़ी पर थैले बेचकर अपना गुजर बसर करने वाली पुलिस की अम्मा (संतोषी देवी) की सांसों की लड़ी टूट गयी। हरकी पैड़ी चौकी प्रभारी अरविन्द रतूड़ी ने बेटे का फर्ज निभाते हुए रोड़ी बेलवाला चौकी प्रभारी पवन डिमरी और साथी जवानों के साथ अम्मा के शव न सिर्फ कंधा दिया, बल्कि पूरे विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार कर नम आंखों से विदाई दी। विगत वर्ष लॉकडाउन से हरकी पैड़ी पुलिस चौकी के जवान निस्वार्थ भाव से अम्मा के खाने-पीने, दवाई सभी का इंतजाम कर उनकी देखभाल कर रहे थे।
आपको बता दें की आइएएस दीपक रावत ने भी अम्मा के निधन पर दुख व्यक्त किया है। बता दें कि इससे पहले आईएएस दीपक रावत भी इस अम्मी की मदद कर चुके हैं। एक बार की बात है जब दीपक रावत हर की पैड़ी पहुंचे थे। अम्मी थेले बेच रही थी। ये देख दीपक रावत का दिल पसीज गया और आईएएस दीपक रावत ने अम्मी से सारे थेले खरीद लिए। दीपक रावत ने अम्मा को पैसे दिए और थेले भी वापस कर दिए.
हरिद्वार पुलिस की पोस्ट
हरिद्वार पुलिस ने फेसबुक पर शेयर करते हुए लिखा कि ये रिश्ता – बहुत कुछ कहलाता है, कुछ रिश्ते हमें जन्मजात मिलते हैं और कुछ रिश्तों का चुनाव हम अपनी पसंद से करते हैं। अपने जीवन में इन चुने हुए रिश्तों में हम अक्सर अपने नफा-नुकसान और वैचारिक तालमेल का तोल-मोल करने के बाद ही फैसला करते हैं।आज आपका परिचय एक ऐसे ही चुने गए माँ-बेटे के रिश्ते से करवा रहे हैं किन्तु इसमें न तो नफा-नुकसान पर गौर किया गया और न ही वैचारिक तालमेल पर। दिखी तो बस अपने परिजनों से दूर आत्मसम्मान के साथ रेन बसेरे मे अपने दिन गुजार रही महिला की और खाकी वर्दी पहने सिपाहियों की टोली की जिनकी अनायास ही उस स्वाभिमानी महिला से मुलाकात हो गयी। वह महिला कभी मालद्वीप घाट तो कभी सुभाष घाट, कभी तिरछा पुल तो कभी रोड़ी बेलवाला घाट पर घूमते हुए आने जाने वाले यात्रियों को पॉली बैग बेचकर अपना जीवनयापन किया करती थी।