हरिद्वार : रिक्शा और ई-रिक्शा चालकों की लड़ाई लड़ेंगे वकील, दिलाएंगे उनका हक, सरकार को दिखाएंगे आईना
गरीब पैडल रिक्शा चालक, ई-रिक्शा चालक व् ऑटो रिक्शा चालकों का नगर निगम हरिद्वार द्वारा किया जा रहा उत्पीडन को लेकर रूल ऑफ़ लॉ एंड जस्टिस ने राज्य मानवाधिकार आयोग देहरादून में दस्तक दी। गरीब और मेहनत कर दो वक्त की रोटी कमाने वाले रिक्शा चालकों को हक दिलाने के लिए एडवोकेट ने बड़ा कदम उठाया है।
रूल ऑफ लॉ एण्ड जस्टिस फॉउन्डेशन के वकील लड़ेंगे लड़ाई
आपको बता दें कि रूल ऑफ लॉ एण्ड जस्टिस फॉउन्डेशन के अध्यक्ष डॉ०अरविन्द कुमार श्रीवास्तव (एडवोकेट) ने बताया कि रूल ऑफ़ लॉ एंड जस्टिस फाउंडेशन एक समाजिक रजि० संस्था है जो कि समाज में समाज के उंत्थान के लिये लगातार तन मन धन से कार्यरत है, उन्हें 7 जुलाई 2021 के समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला कि ऑटो रिक्शा चालकों की मन मानी पर ब्रेक लगाने के नाम से अवैध वसूली किए जाना, नगर निगम हरिद्वार ने विषेश क्षेत्र में प्रवेश के लिये पैड्ल रिक्शा चालकों, बैट्री रिक्शा चालकों, ऑटो रिक्शा चालक से बैरियर लगाकर मनमाने और अविधिक रूप से धन वसूली की जा रही है जिसमें प्रति चक्कर पैड्ल रिक्शा चालक से 5 रुपया, बैट्री रिक्शा चालक से 10 रुपया, ऑटो रिक्शा चालक से 15 रुपया लिया जा रहा है।
हरिद्वार नगर निगम ने किया गाइडलाइन को दरकिनार
कोविड-19 का प्रोटोकाल वर्त्मान में सम्पूर्ण भारत में लागू है। गाईड लाइन के अनुसार, सेनेटाईजर, मास्क तीन गज की दूरी बहुत जरूरी है। अन्यथा आपकों कोविड संक्रमण फैल सकता है लेकिन हरिद्वार नगर निगम द्वारा एक नियम उपरोक्त प्रोटोकाल का दरकिनार कर जारी किया है जिसके अनुसार ऑटो रिक्शा में अधिक्तम सवारी संख्या 4+1, बैट्री रिक्शा में अधिक्तम सवारी संख्या 4+1, पैड्ल रिक्शा में अधिक्तम सवारी संख्या 2+1 और तांगा में अधिक्तम सवारी संख्या 6+1 बैठाने का नियम बनाया है जो किसी भी प्रकार से आम जनता के लिये हितबध्द नहीं है।
परिवार का पेट पालना हो जाता है मुश्किल
एक पैड्ल रिक्शा चालक 75-100 रुपया रोज पर एक रिक्शा किराये पर लेकर घर से अपने कम से कम 6 लोगो के परिवार को पालन पोषण करने के लिए निकलता है। पूरे दिन अपना पसीना बहाकर अपने परिवार का पालन पोषण करने में असमर्थ रह्ता है, क्योंकि रिक्शे का किराया देने के बाद उसके पास इतना धन नहीं बचता जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण कर सके। ऑटो रिक्शा चालक 300-350 रुपया प्रतिदिन पर एक रिक्शा किराये पर लेकर घर से अपने कम से कम 6 लोगों के परिवार को पालन पोषण करने के लिए निकलता है. पूरे दिन अपना पसीना बहाकर अपने परिवार का पालन पोषण करने में असमर्थ रह्ता है.
बैट्री रिक्शा चालक 200-250/- रुपया रोज पर एक रिक्शा किराये पर लेकर घर से अपने कम से कम 6 लोगों के परिवार को पालन पोषण करने के लिए निकलता है, पूरे दिन अपना पसीना बहाकर अपने परिवार का पालन पोषण करने में असमर्थ रह्ता है, क्योंकि रिक्शे का किराया देने के बाद उसके पास इतना धन नही बचता जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण सम्मान पुर्वक कर सके ।
मूकदर्शक बनी सरकार, हरिद्वार जिलाधिकारी और एसएसपी
रिक्शा चालको पर नगर निगम हरिद्वार द्वारा मात्र अपनी आय बढाने के लिये एक विषेश क्षेत्र में प्रवेश करने पर टैक्स लगा देना मानवता व मानव अधिकारो का हनन है जबकि उत्तराखण्ड सरकार , जिला अधिकारी, हरिद्वार एसएसपी मूक दर्शक बने हुये हैं जिनकी जिम्मेदारी कानून व्यवस्ता तथा विधि एवं सविधान के द्वारा स्थापित अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहें हैं जो कि विधिक दृष्टि से गैर संविधानिक हैं, उनके आजीविका व जीने की स्वतंत्रता के अधिकार को बाधित कर रहा है। 25 मार्च 2020 से कॉविड प्रोटोकॉल के चलते भी हरिद्वार में पूरे व्यापार ठप पड़े हैं क्योंकि हरिद्वार का व्यापार पर्यटन पर निर्भर करता है जिस कारण से भी हरिद्वार के व्यापारी रिक्शा चालक सभी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।
तो नगर निगम कर लेता है रिक्शा जब्त
नगर निगम हरिद्वार अपनी आय को बढ़ाने के लिए गरीब मेहनत का रिक्शे वालों पर बेवजह एक विशेष क्षेत्र में एंट्री करने पर ₹5 प्रति चक्कर लेकर उनका उत्पीड़न कर रही है. यही नहीं जो गरीब रिक्शा चालक बिना नगर निगम हरिद्वार की पर्ची कटा एक विशेष क्षेत्र में चला जाता है, तो निगम हरिद्वार उसका रिक्शा जब्त कर ले रहा है जिससे पेडल रिक्शा चालक का परिवार भूखों मरने की कगार पर आ गया है । यदि नगर निगम हरिद्वार अपनी आय बढ़ाना ही चाहता है तो सर्वप्रथम उषा ब्रिको हरिद्वार की तरफ बकाया चला आ रहा लगभग 350 करोड़ रूपया वसूल कर अपनी आय बढ़ा सकता है जो कि शायद बड़े प्रभावशाली राजनेता के डर से नगर निगम हरिद्वार नहीं कर पा रहा है।इसका भुगतान हरिद्वार के गरीब रिक्शा चालकों, ई रिक्शा चालकों व ऑटो रिक्शा चालकों से वसूल रहा है जो कि मानवीय एवं मानवता के विरुद्ध है । ऐसे में नगर निगम हरिद्वार यदि लगातार पेडल रिक्शा चालक, ई-रिक्शा चालक, ऑटो रिक्शा चालक से अवैधानिक रूप से वसूल करता रहा तो उनके भूखे मरने की नौबत आ जाएगी तथा वह अपने बच्चों को ना सम्मान पूर्वक से खाना खिला सकेंगे और ना ही उनको शिक्षा दिला सकेंगे.ट
उन्होंने कहा कि गरीब व शोषित वर्ग का उत्पीडन कतई बर्दास्त नहीं किया जायेगा, जिस कारण उनकी संस्था द्वारा उत्तराखण्ड सरकार द्वारा मुख्य सचिव उत्तराखण्ड सरकार, जिला अधिकारी, मुख्य नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार, नगर सचिव, नगर निगम हरिद्वार, वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक के विरुद्ध राज्य मानवाधिकार आयोग देहरादून में याचिका दायर की है. याचिका दायर करने वालों में रूल ऑफ लॉ एण्ड जस्टिस फॉउन्डेशन द्वारा अध्यक्ष अरविन्द कुमार श्रीवास्तव एडवोकेट, सतीश पवार एडवोकेट, राहुल भाटिया एडवोकेट, हर्षित भाटिया एडवोकेट, युवराज सिंह हैं.