22 साल की उम्र में शहीद हुआ देवभूमि का लाल, 2019 में हुए थे भर्ती, मां बोली- मेरा बेटा मरा नहीं कोमा में

अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में हिमस्खलन की चपेट में आकर देश के सात जवान शहीद हो गए। जिससे शहीदों के घर में कोहराम मच गया। इन सात जवानों में हिमाचल का लाल भी शहीद हो गया। बता दें कि बिलासपुर जिले के घुमारवीं उपमंडल के सेऊ गांव के अंकेश 22 साल की उम्र में देश के लिए शहीद हो गए। घर में जैसे ही ये खबर पहुंची कोहराम मच गया।

बता दें कि अंकेश का जन्म 6 सितंबर 2000 को हुआ था। अंकेश भारद्वाज दो साल पहले 2019 में यानी की 19 साल की उम्र में भर्ती हुए थे। अंकेश सभी भाई बहनों में सबसे बड़े थे। सेना के अधिकारियों ने अंकेश के लापता होने की सूचना 6 फरवरी को परिवार को दी थी। अंकेश की मां और पूरा परिवार बेटे की सलामती के लिए दुआ मांग रहा था। उनको पूरी उम्मीद थी कि उनका बेटा जिंदा बर्फ से निकलेगा और उनसे मिलेगा लेकिन अंकेश की शहादत की खबर घर पहुंची तो कोहराम मच गया।

शहीद अंकेश के पिता पूर्व सैनिक

जानकारी मिली है शहीद अंकेश के पिता पूर्व सैनिक हैं। उनके 4 भाई भी बीएसएफ और सेना में सेवाएं देकर सेवानिवृत्त हुए हैं। अंकेश भारद्वाज 19 जम्मू-कशमीर राइफल्स में भर्ती हुआ था। बचपन से ही वो सेना में जाना चाहते थे और 2 साल पहले भर्ती हुए लेकिन दो साल बाद वो शहीद हो गए। अंकेश का एक छोटा भाई है, जो अभी 11वीं में पढ़ रहा है। अंकेश सबसे बड़े थे। पिता से ही उन्हें सेना में जाने की प्रेरणा मिली।अंकेश के पिता और चाचा बीएसएफ और 3 ताया भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं। अंकेश घर के बड़े बेटे होने के साथ-साथ सभी के लाडले भी थे। बलिदानी अंकेश के रिश्तेदारों ने बताया कि उनमें सेना में भर्ती होने का जुनून था और वह नियमित 12 किलोमीटर तक सामान्य दिनचर्या में दौड़ते थे। घुमारवीं के हिम सर्वोदय सीनियर सेकेंडरी स्कूल से अंकेश ने विज्ञान संकाय में जमा दो की शिक्षा पूरी करने के बाद सेना में जाने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। जल्द ही उन्हें यह सफलता भी मिल गई और अपनी मेहनत के दम पर 19 वर्ष की उम्र में सेना में भर्ती हो गए।

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