मेजर शहीद, देहरादून IMA से ली थी ट्रेनिंग, भांजे से कहा था- दुश्मनों को छोडूंगा नहीं, चाहे सिर पर गोली खानी पड़ी

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में मेरठ निवासी मेजर मयंक विश्नोई शहीद हो गए है। आज रविवार को शहीद का पार्थिव शरीर मेरठ पहुंचा जहां सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। शहीद की अंतिम विदाई के दौरान जन सैलाब उमड़ा. मयंक अमर रहे के नारे लगाए गए।

मेजर को लगी थी सिर पर गोली

मेरठ के कंकरखेड़ा की शिवलोक पुरी निवासी मेजर मयंक विश्नोई इस समय जम्मू-कश्मीर में तैनात थे। 27 अगस्त को शोपियां में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में मेजर मयंक घायल हो गए थे, उनको सिर पर गोली लगी थी। उधमपुर के सैनिक अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। शनिवार को मेजर मयंक शहीद हो गए। सेना की 44 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात मेजर का पार्थिव शरीर पोस्टमार्टम के बाद सैनिक अधिकारियों को सौंप दिया गया। सेना के अधिकारियों ने उनके परिजनों को मेजर के शहीद होने की सूचना दी तो कोहराम मच गया। मेजर के माता पिता और पत्नी का रो रोकर बुरा हाल है।

शहीद के पिता सेना से रिटायर्ड 

शहीद के पिता सेना से रिटायर्ड सूबेदार वीरेंद्र विश्नोई, माता मधु विश्नोई और पत्नी स्वाति विश्नोई पहले ही उधमपुर पहुंच गए थे। मेजर मयंक 2010 में देहरादून आईएमए से पासआउट हुए थे। मयंक के चचेरे भाई अंकुर गोयल ने बताया कि बचपन से ही वह सेना में जाना चाहते थे। मेरठ में शहीद के आवास पर लोगों का तांता लगा और आज शहीद का पार्थिव शरीर मेरठ पहुंचा जहां सैन्य सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया।

18 अप्रैल 2018 में हुई थी शादी

बता दें कि मेजर मयंक विश्नोई 18 अप्रैल 2018 को हिमाचल प्रदेश के सुजानपुर टीला निवासी स्वाति संग विवाह के बंधन में बंधे थे। 14 अप्रैल को मेजर एक माह के अवकाश पर घर आए थे। इसी दौरान मेजर के पिता वीरेंद्र कुमार विश्नोई, माता मधु विश्नोई और पत्नी स्वाति कोरोना पाजिटिव हो गए थे। मेजर ने सभी की देखभाल की और उपचार कराने के बाद सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। इसके 13 मई को मेजर मयंक पत्नी संग ससुराल हिमाचल प्रदेश पहुंचे। वहां पत्नी को छोड़कर ड्यूटी पर चले गए थे।

भांजे से कहा था-देश के दुश्मनों को नहीं छोडूंगा, चाहे सिर में गोली क्यों न लग जाए

मेजर की दो बहनें हैं जो बार बार भाई की फोटो देखकर रो रही हैं।  मेजर मयंक विश्नोई की बहन तनु के 8 साल के बेटे से कही बात सही साबित हो गई। मेजर अपनी ड्यूटी बारे में भांजे को बताते रहते थे। भांजा ने एक दिन अपने मेजर मामा से कहा था कि मामा, तुम रात के समय जंगल में मत जाया करो, जंगल में बदमाश रहते हैं। किसी ने गोली मार दी तो फिर क्या होगा? तब मेजर अपने भांजे से कहा था कि देश के दुश्मनों को नहीं छोडूंगा, चाहे सिर में गोली क्यों न लग जाए। मेजर ने जो बात अपने भांजे से कहीं, शायद ईश्वर को वहीं मंजूर था। 27 अगस्त को आतंकियों से मुठभेड़ में मेजर के सिर में गोली लगी थी।

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