उत्तराखंड : इंस्पेक्टर को सजा नहीं ताजपोशी मिली, जांच पूरी नहीं हुई और बना दिया कोतवाल

देहरादून : कोई अपराध करता है तो उसे पुलिस कस्टडी में रखा जाता है और जब जुर्म साबित हो जाता है तो जेल में डाल दिया जाता। ऐसा तो नहीं है कि उसकी ताजपोशी की जाती है। लेकिन पुलिस विभाग नियम कानून खुद तोड़ता नजर आ रहा है। दरअसल विभागीय जांच झेल रहे इंस्पेक्टर महेश जोशी की ताजपोशी की गई है जबकि उनके खिलाफ जांच पूरी भी नहीं हुई है। उन्हें ऋषिकेश कोतवाल के रूप में ताजपोशी मिली है जो की विवादों में आ गई है। इस मामले में डीआईजी गढ़वाल रेंज नीरू गर्ग ने जिला पुलिस से जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी है।

बता दें कि इतना ही नहीं इससे पहले देहरादून के तत्तकालीन एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने भी 2020 में कमान संभालने के दौरान इंस्पेक्टर महेश जोशी के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। जांच चल ही रही है लेकिन इस बीच उनको कोतवाल बना दिया गया है वो भी ऋषिकेश का जिससे पुलिस विभाग पर सवाल उठने लगे हैं। दूसरों को नियम कानून का पाठ पढ़ाने वाली पुलिस खुद नियम कानून कैसे भूल गई। शनिवार को डीआईजी नीरू गर्ग ने इस मामले को विवादित बताया और जिला पुलिस से जांच रिपोर्ट मांगी है।

यह है मामला 
मामला 6 दिसंबर 2017 का है। देहरादून की तत्कालीन एसएसपी निवेदिता कुकरेती हरिद्वार से लौट रहीं थीं। उन्हें रास्ते में जाम मिला तो उन्होंने फोन घुमाए तो पता चला कि वहां विशेष श्रेणी दरोगा अशोक कुमार की ड्यूटी थी, लेकिन वो नदारद थे। एसएसपी ने उन्हें आरटी सैट के माध्यम से ही लाइन हाजिर होने का आदेश दिया था। इसके बाद अशोक कुमार न तो थाने पहुंचे और न ही पुलिस लाइन। पता चला कि अशोक कुमार शर्मा 6 दिसंबर से पहले से ही अनुपस्थित चल रहा था।

अक्तूबर 2019 में शर्मा के बेटे के संबंध में एक मौखिक शिकायत तत्कालीन डीआईजी अरुण मोहन जोशी के पास आई। उन्होंने जब अशोक कुमार के बारे में जानकारी की तो पता चला कि वह तो लाइन हाजिर हो गया था, लेकिन अभी तक न तो उसकी लाइन में ही कोई एंट्री है और न ही थाने को कुछ मालूम। इस मामले की विभागीय जांच सीओ डालनवाला को सौंपी गई।जांच में पाया गया कि थाना रायवाला ने अशोक कुमार की अनुपस्थिति में ही रायवाला से पुलिस लाइन जाना दर्शा दिया। जबकि, अशोक कुमार ने न तो लाइन में कोई आमद कराई और न ही अपनी अनुपस्थिति के बारे में कोई जानकारी दी। 31 जनवरी 2020 को अशोक कुमार सेवानिवृत्त भी हो गया। इस तरह गायब रहते ही उसने लगभग 25 माह का वेतन पुलिस महकमे से लिया।

अब नो वर्क नो पे का नोटिस अशोक कुमार को भेजा गया। साथ ही तत्कालीन थाना प्रभारी इंस्पेक्टर महेश जोशी और मुंशी मनोज कुमार की लापरवाही सामने आई है। महेश जोशी ने लाइन रवानगी और अशोक कुमार की अनुपस्थिति के बारे में कोई जानकारी पुलिस अधिकारियों को नहीं दी। इस मामले में दोनों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए थे।

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