हाईकोर्ट से सरकार को फटकार, हरिद्वार के इस अधिकारी का सोमवार तक तबादला करने का दिया आदेश

नैनीताल : उच्च न्यायालय ने रुड़की में नगर निगम की भूमि पर निर्मित दुकानों को अपने ही लोगों को आवंटित करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस मामले में कोर्ट ने एक बार फिर से सरकार को फटकार लगाई। फटकार लगाते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा कि कैसे एक पीसीएस अधिकारी की नियुक्ति गृह जनपद में कर दी गई। कोर्ट ने सरकार के इस फैसले को मौखिक तौर पर गलत करार दिया। कोर्ट ने कहा कि सरकार मुख्य नगर आयुक्त नुपुर वर्मा का ट्रांसफर सोमवार तक करे, अन्यथा कोर्ट ट्रांसफर नीति ही रद कर सकती है। मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी। 

रुड़की निवासी आशीष सैनी ने की थी जनहित याचिका दायर

आपको बता दें कि रुड़की निवासी आशीष सैनी ने जनहित याचिका दायर की थी। दायर याचिका में कहा गया है कि नगर निगम रुड़की ने नगर निगम की भूमि पर 2011 से 2013 के बीच करीब 24 दुकानें बनाई थी। जिन्हेंं तत्कालीन मेयर ने बिना किसी विज्ञप्ति के अपने ही लोगों को आवंटित कर दी। बाद में दुकानों की छत का अधिकार भी उन्हीं लोगों को दे दिया गया। जिसे 2015 में तत्कालीन मेयर ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। कोर्ट ने जिलाधिकारी को निर्देश दिए थे कि मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश की जाए।

मुख्य नगर आयुक्त नुपुर वर्मा रुड़की की स्थायी निवासी हैं-याचिकाकर्ता

वहीं इस आदेश को दुकानदारों ने भी चुनौती दी थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। साथ ही शहरी विकास सचिव को निर्देश दिए थे कि दुकानों को खाली कराने के लिए अंतिम फैसला लें और दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करें। कोर्ट के आदेश पर आवंटन निरस्त कर दिया गया। तब खंडपीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को सही मानते हुए 2020 तक दुकानें खाली करने का समय दिया लेकिन अभी तक दुकानें खाली नहीं कराई गई। याचिकाकर्ता का भी कहना है कि मुख्य नगर आयुक्त नुपुर वर्मा रुड़की की स्थायी निवासी हैं। उनकी यहां नियुक्ति गलत तरीके से की गई है। अधिकारियों की नियुक्ति अपने ही होम टाउन में नही हो सकती।

सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि 1946 की तबादला नियमावली के अनुसार यदि किसी स्थायी महिला अधिकारी की शादी उसके गृह जिले से बाहर हो जाती है और उसका पता बदल जाता है। तब उसी जिले में उसकी नियुक्ति हो सकती है। वहीं याचिकाकर्ता का कहना है कि मुख्य नगर आयुक्त नुपुर वर्मा ने उत्तराखंड महिला आरक्षण का लाभ भी लिया है। साथ ही उत्तराखंड ट्रांसफर नीति 2017 यह कहती है कि किसी भी अधिकारी की नियुक्ति अपने होम टाउन में नहीं हो सकती। अगर स्वास्थ्य कारणों से अनफिट कर्मचारी या अधिकारी अपना ट्रांसफर अपने गृह जनपद में कराना चाहता है तो तब सरकार यह तथ्य सामने लेकर आती है कि उसका गृह जनपद है। इस मामले में सरकार खुद 2017 की ट्रांसफर नियमावली का उल्लंघन कर रही है।

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